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धारणीय विकास और करारोपण में नवाचार | Original Article

अजय कुमार नावरे1 बांसती मैथ्यू2 in Shodhaytan (RNTUJ-STN) | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

सारांष

धारणीय विकास से आशय भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों की अनदेखी ना करते हुए वर्तमान मांगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के बीच संतुलन लाना है। सतत आर्थिक विकास में प्रत्येक आर्थिक पहलू में परिवर्तन या विकास के साथ-साथ शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार में वृद्धि, गरीबी उन्मूलन, सामाजिक न्याय पर जोर दिया जाता है। जिससे जीवन में गुणवत्ता पर वृद्धि होती है। सतत विकास में ऐसी उत्पादन तकनीकी को अपनाया जाए, जिससे पर्यावरणीय तंत्र को कोई नुकसान ना पहुंचे। कराधान एक अनिवार्य शुल्क या वित्तीय शुल्क है, जो सरकार द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था पर राजस्व जुटाने के लिए लगाया जाता है जमा हुई राशि को विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए उपयोग किया जाता है। सामाजिक उद्देश्य जैसे आय व संपत्ति की असमानता को कम कर के उच्च रोजगार के अवसर प्राप्त करने तथा आर्थिक स्थिरता व वृद्धि प्राप्त करने में सहायक होता है।